कृषि भाव रिपोर्ट 2024-25: आने वाले दिनों में इस प्रकार रहेगें फसलों के भाव, व्यापारियों और मंडी शोधकर्ताओं से प्राप्त विस्तृत जानकारी Rajendra Suthar, July 4, 2024July 4, 2024 राम-राम किसान भाइयों जैसा की किसान भाई जानते है की बीते महीने जून में फसलों के भावो में काफी उत्तार चढ़ाव देखने को मिला। वर्ष 2024-25 का आरंभ हो चुका है और कृषि बाजार में उत्तार-चढ़ाव एक सामान्य दृश्य है। व्यापारियों और मंडी शोधकर्ताओं ने पिछले कुछ महीनों में प्रमुख फसलों के भावों में विभिन्न परिवर्तनों को देखा है, जिसने व्यापार और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में सक्रियता को बढ़ाया है। किसान भाइयो इस पोस्ट में अपन व्यापारिओं और मंडी शोधकर्ताओं के अनुसार आने वाले दिनों में फसलों के भाव किस प्रकार रह सकते है, भाव में क्या उत्तार-चढ़ाव हो सकता इन सभी बातो पर चर्चा करेगें।किसान साथियों पिछले महीने की रिपोर्ट को देखे तो प्रमुख फसलों जीरा, सरसों, इसबगोल, सोयाबीन और ग्वार जैसी फसलों में हर सप्ताह तेजी-मंदी देखी गई है। प्याज की बात करें तो प्याज के भावो में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। नासिक प्याज के भाव लगभग 2800-3500 रूपये /क्विंटल के आसमान को छू गए थे जो एक आम आदमी के लिए काफी चिंता की बात थी। वही गेंहू के भावों में भी तेजी दिखने को मिली थी। अगर एक साल के सम्पूर्ण रिकॉर्ड को देखे तो खाद्य तेल 30% और दालें 20% तक महंगी हुई है यानी खाद्य मंहगाई 3 गुना बढ़ी है।प्रमुख फसलों के भाव की रिपोर्ट (Bhav Report )किसान साथियों इस साल धान,चना, मक्का, गेंहू, अरहर, सरसों, और मूंग की फसलों में आने वाली समय में क्या उत्तार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, इसके लिए मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड), भोपाल द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रक्षेत्र प्रबंध विभाग, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) के द्वारा प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष के लिए भी आने वाले वर्ष में फसलों का भाव रिपोर्ट कैलेंडर तैयार किया गया है जिस को देख कर समस्त किसान और व्यापारी भाई कृषि जींस को क्रय विक्रय हेतु इसका उपयोग आने वाले समय में कर सकते है।किसान साथियो इस भाव रिपोर्ट कैलेंडर में मार्च 2024 से फरवरी 2025 तक के प्रत्येक महीने में प्रमुख फसलों के क्या भाव बताये गए है जो किसानों के लिए काफी अच्छा कार्य है। ये कैलेंडर मध्यप्रदेश में विभिन्न कृषि जिंसों के भाव का बनया गया है। इस कैलेंडर में फसलों का मूल्य पूर्वानुमान विगत 20 वर्षों के रिकॉर्ड के अध्ययन के आधार पर बनाया गया है। इस कैलेंडर में आने वाले समय में बाजार के विभिन्न कारणों के कारण वास्तविक बाजार और पूर्वानुमान बाजार मूल्य में अंतर रह सकता है। आइए देखते हैं कि इस साल 2024-25 में किस तरह के उत्तार-चढ़ाव के साथ फसलों के भाव में बदलाव हो सकता है।फसलों के भाव की रिपोर्ट का कैलेंडर इस प्रकार है –यह रिपोर्ट उन सभी किसान भाइयों के लिए है जो अपने व्यापार को सुधारने और अच्छे फसली भावों की आस लगाये बैठे है।जीराजीरा एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है जिसका उत्पादन मुख्य रूप से गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में होता है। इस साल की शुरुआत में जीरे के भाव में तेजी देखने को मिली है, खासकर उत्तरी राजस्थान के क्षेत्रों में। यह भाव में वृद्धि उस समय देखी गई थी जब मॉनसून की शुरुआत हुई थी और किसानों ने उत्तरी सीमाओं में उत्तर-दक्षिण विकल्पों के साथ जीरे की खेती की थी। आने वाले महीनों में भाव में स्थिरता की उम्मीद है, लेकिन बारिश की स्थिति पर निर्भर करता है।सरसोंसरसों भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उत्तर भारतीय राज्यों में प्रमुख रूप से उत्पादित होता है। सरसों के भाव में पिछले महीने में तेजी देखने को मिली, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के क्षेत्रों में। बरसात की अच्छी व्यवस्था ने इस फसल को लाभान्वित किया है और भाव में स्थिरता की उम्मीद है।इसबगोलइसबगोल या प्सिलियम हेस्त्वम हर्बल ग्रस की फसल है, जिसका प्रमुख उत्पादन राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में होता है। इस वर्ष, इसबगोल के भाव में भी तेजी देखने को मिली है। उत्पादक किसानों ने अच्छे वर्षा और सही समय पर खेती के कारण इसमें वृद्धि देखी है। आगामी महीनों में भी इसबगोल के भाव में स्थिरता अनुमानित है।सोयाबीनसोयाबीन भारत में मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में उत्पादित होती है। इस साल सोयाबीन के भाव में भी विविधता देखने को मिली है, खासकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में। विपरीत वृष्टियां और अन्य कारणों से भाव में बदलाव हो सकता है, इसलिए उत्पादक किसानों को बाजार की स्थिति का निगरानी करना महत्वपूर्ण है।ग्वारग्वार भारतीय पश्चिमी राज्यों में प्रमुखतः राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में उत्पादित होती है। इस साल ग्वार के भाव में भी वृद्धि देखने को मिली है, खासकर पश्चिमी राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में। बढ़ती उत्पादन की वजह से भी ग्वार के भाव में स्थिरता की उम्मीद है।इस प्रकार, व्यापारियों और मंडी शोधकर्ताओं के लिए वर्ष 2024-25 में कृषि बाजार में विभिन्न फसलों के भावों में स्थिरता और उत्तार-चढ़ाव की स्थिति समझना महत्वपूर्ण है। यह न केवल उनकी व्यवसायिक योजनाओं को प्रभावित करता है, बल्कि भारतीय कृषि के क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण को भी प्रभावित करता है। आशा है कि आगामी महीनों में भी हमें समृद्धि की ओर अग्रसर करने का मौका मिलेगा।Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। कृषि समाचार