पंजाब में किसानों का विरोध: धान खरीद और उर्वरक की मांग जारी Rajendra Suthar, October 29, 2024October 29, 2024 पंजाब में किसान साथी एक बार फिर सड़कों पर उतर आए है। अपनी विभिन्न मांगों, खासकर धान की खरीद और उर्वरकों की कमी को लेकर किसानो द्वारा रविवार को दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रखा गया। इन प्रदर्शनों में किसानों ने पंजाब के कई क्षेत्रों में “चक्का जाम” का आयोजन किया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। यह प्रदर्शन किसान मजदूर संघर्ष समिति और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) द्वारा किया जा रहा है।किसानों की मुख्य मांगेंकिसानों की मांगों में धान की खरीद, डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की उपलब्धता और पराली जलाने के मुद्दे शामिल हैं। फगवाड़ा में धरना स्थल पर मौजूद किसान मजदूर मोर्चा के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमारा अनिश्चितकालीन चक्का जाम दूसरे दिन में प्रवेश कर गया है।” उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में दिल्ली में गृह मंत्रालय और जेपी नड्डा से बातचीत की थी, लेकिन अभी तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं।किसानों की मांगों को देखते हुए मुख्यमंत्री मान ने किसानों को आश्वासन दिया कि वह उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए जल्द ही उनके साथ बातचीत करेंगे। हालांकि, किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि सीएम ने दिल्ली में किसानों पर मौखिक हमला किया, जब उन्होंने कहा कि वे राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं। इससे साफ होता है कि सरकार और किसानों के बीच संवाद की कमी है, जो स्थिति को और अधिक जटिल बना रही है।Also Read भारत में मौसम का हाल: जानिए दिवाली से पहले सर्दी और बारिश का संगम पराली जलाने के खिलाफ पुलिस कार्रवाईकिसान 26 अक्टूबर को पराली जलाने के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ भी प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने बताया की सरकार ने उन्हें उचित तरीके से काम करने की अनुमति नहीं दी, जिससे वे मजबूरन पराली जलाने के लिए बाध्य हो रहे हैं। इस मुद्दे पर किसानों के बीच गहरी नाराजगी है, और वे इसे अपनी समस्याओं के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देख रहे हैं।डीएपी (DAP) उर्वरक की कमीकेंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात की और इस कठिन समय में राज्य के लिए डीएपी उर्वरक की उपलब्धता पर चर्चा की। मुख्यमंत्री मान ने डीएपी की आपूर्ति की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि राज्य को डीएपी की जरूरत मुख्य रूप से 15 नवंबर तक है।उन्होंने यह भी बताया कि 70 प्रतिशत डीएपी दूसरे देशों से आयात की जाती है, और यूक्रेन विवाद सहित कई अंतरराष्ट्रीय कारणों से इसकी कमी हो रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि पंजाब को अन्य राज्यों की तुलना में प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि यहां की फसलें जल्दी कटाई के लिए तैयार हैं।केंद्रीय मंत्री नड्डा ने पंजाब के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उर्वरक विभाग राज्य में बिना किसी देरी के पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को डीएपी की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए जाएंगे।बीते सप्ताह को पंजाब में चार जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया गया। संगरूर, मोगा, फगवाड़ा और बटला में किसानों ने चक्का जाम किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी मांगें पूरी होने तक नाकाबंदी जारी रहेगी। किसान संगठनों ने सरकार से सीधी बात करने और उनकी समस्याओं को हल करने का आग्रह किया है।निष्कर्षपंजाब में किसान आंदोलन एक बार फिर अपने चरम पर है। उनकी मांगें न केवल धान की खरीद तक सीमित हैं, बल्कि उर्वरकों की उपलब्धता और पराली जलाने के मुद्दे से भी संबंधित हैं। यह आंदोलन यह दर्शाता है कि किसान अपनी समस्याओं को लेकर कितने गंभीर हैं और उन्हें समाधान की कितनी आवश्यकता है।सरकार को चाहिए कि वह किसानों के साथ संवाद स्थापित करे और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से हल करे। अन्यथा, यह आंदोलन और बढ़ सकता है, जिससे कृषि क्षेत्र और अधिक संकट में पड़ सकता है। किसानों की आवाज़ सुनना और उनकी आवश्यकताओं का सम्मान करना सभी के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि देश की कृषि व्यवस्था को सुचारु रखा जा सके।इस प्रकार, पंजाब का किसान आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। उनकी समस्याओं का समाधान न केवल उनके लिए, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए भी आवश्यक है। कृषि समाचार