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इस बार भी राजस्थान के किसान गुजरात ले जाएंगे जीरा, क्या है इसके पीछे का बड़ा कारण

Rahul Saharan, March 27, 2025March 27, 2025

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि जीरा एक मसाला फसल के रूप में होता है। जीरे की फसल जलवायु के कारण जल्दी प्रभावित हो जाती है Jeera(जीरा) का प्रमुख रूप से उत्पादन उत्तरप्रदेश, राजस्थान और पंजाब में होता है। और राजस्थान राज्य में जीरे के उत्पादन की दृस्टि से बाड़मेर और बालोतरा पहले स्थान पर आते है। बालोतरा क्षेत्र के लूणी नदी के निकट के किसान जीरे की खेती करते है। और बाड़मेर जिले के शिव , गुड़ामलानी, धोरीमन्ना तथा चौहटन तहसीलों में जीरे की अधिक मात्रा में खेती की जाती है। लेकिन राजस्थान में जीरा मंडी की सुचारु व्यवस्था नहीं होने के कारण राजस्थान के किसान जीरा गुजरात ले जाएंगे।

राजस्थान में जीरे का उत्पादन-

किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है की राजस्थान राज्य में जीरे के उत्पादन की दृस्टि से बाड़मेर और बालोतरा पहले स्थान पर आते है। बालोतरा क्षेत्र के लूणी नदी के निकट के किसान जीरे की खेती करते है। और बाड़मेर जिले के शिव , गुड़ामलानी, धोरीमन्ना तथा चौहटन तहसीलों में जीरे की अधिक मात्रा में खेती की जाती है। बाड़मेर और बालोतरा के इन क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष लगभग 2.25 लाख हैक्टेयर से भी ज्यादा रकबे में जीरे की बुवाई की जाती है।

राजस्थान राज्य के बालोतरा तथा बाड़मेर में जीरे की फसल के लिए मिट्टी,पानी तथा वातावरण की अनुकूलता होने के कारण यहाँ पर जीरे की बम्फर पैदावार होती है। बाड़मेर और बालोतरा के अतिरिक्त राजस्थान के पश्चिमी इलाकों जैसे की जोधपुर, जैसलमेर, जालोर, बिलाड़ा, मेड़ता आदि में भी जीरे का उत्पादन होता है। परन्तु इन इलाको में जीरे की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने की समस्या के कारण इन इलाको में उत्पादित जीरा ऊंझा मंडी में जाता है।

राजस्थान से जीरा गुजरात जाने का पहला बड़ा कारण-

किसान साथियों राजस्थान में जीरे का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन होता है। और जीरे के उत्पादन में राजस्थान के बाड़मेर और बालोतरा के अतिरिक्त राजस्थान के पश्चिमी इलाकों जैसे की जोधपुर, जैसलमेर, जालोर, बिलाड़ा, मेड़ता आदि सम्मिलित है। लेकिन राजस्थान के इन इलाको में जीरे की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण जीरा गुजरात जाता है।

राजस्थान में जीरे की प्रोसेसिंग यूनिट या जिला मुख्यालय पर कृषि उपज मंडी में जीरा मंडी के निर्माण करने के लिए मंडी प्रशासन की और से लगभग 14 बीघा भूमि का आवंटन किया गया था। जीरा मंडी के लिए वर्ष 2017 में व्यापारियों, किसानों तथा अन्य वर्ग श्रेणी के लोगों को आवेदन पत्र आमंत्रित करके उनको भूमि का आवंटन किया गया था। इस 14 बीघा भूमि के आवंटन किये गए लोगों में से लगभग 77-80 लोगों ने तो दुकानों का निर्माण कर लिया है। इसके अलावा मंडी प्रशासन ने अन्य जरूरी व्यवस्थाओं का भी प्रबंध किया है। परन्तु सबसे बड़े दुःख की बात ये है की अधिकारियों ने मंडी के सुचारु रूप से संचालन को लेकर के किसी भी प्रकार की कोई खास रूचि नहीं प्रकट की है।

राजस्थान से जीरा गुजरात जाने का दूसरा बड़ा कारण-

किसान साथियों मंडी समिति के अधिकारियों के द्धारा मंडी के संचालन में खास रूचि नहीं दिखने के कारण आज भी मंडी के संचालन का काम शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा भी इस 14 बीघा भूमि के आवंटन किये गए लोगों में से लगभग 77-80 लोगों ने तो दुकानों का निर्माण तो कर लिया है। लेकिन अब उन्होंने बिजली के कनेक्शन के लिए मंडी समिति के कार्यालय में अनापत्ति प्रमाण-पत्र लिए आवेदन प्रस्तुत किया है। परन्तु मंडी समिति के द्धारा अब तक उन दुकानदारों को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है। बिना बिजली के कनेक्शन तथा मंडी समिति के अधिकारियों के द्धारा दुकानदारों को प्रोत्साहित नहीं किये जाने के कारण दूकानदार भी इसमें कोई खास रूचि नहीं ले रहे है। जिसके कारण इस साल भी राजस्थान के किसान जीरा गुजरात की ऊंझा मंडी लेकर के जाएंगे।

जीरा गुजरात जाने से राजस्थान को होने वाला नुकसान-

किसान साथियों मंडी समिति के अधिकारियों के द्धारा जीरा मण्डी के संचालन में रूचि नहीं दिखने के कारण राजस्थान के किसान जीरे की फसल को गुजरात में बेचने के लिए लेकर के जाएंगे। ऐसे में राजस्थान को काफी अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योकि अगर जीरा मंडी का संचालन शुरू हो जाता तो इस मंडी में जीरे की बिक्री होने से राजस्थान सरकार को मंडी शुल्क, किसान कल्याण शुल्क के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती।

लेकिन अब तक मंडी समिति के अधिकारियों के द्धारा जीरा मण्डी के संचालन में रूचि नहीं दिखने के कारण किसानों को जीरा गुजरात में बेचना पड़ेगा। जिससे की सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त होने वाला मंडी शुल्क तथा किसान कल्याण शुल्क नहीं प्राप्त हो पाएगा। यदि मंडी में जीरे की बिक्री होती तो दुकानदारों तथा आढ़तियों को भी मुनाफा प्राप्त होता। इसके अतिरिक्त जीरे की बोरियों की भराई, चढ़ाई तथा उतराई करने वाले श्रमिकों तथा वाहन चालकों को भी रोजगार प्राप्त होता। लेकिन अब तक मंडी समिति के अधिकारियों के द्धारा जीरा मण्डी के संचालन में रूचि नहीं दिखने के कारण इन सब को भी मुनाफे से वंचित रहना पड़ेगा।

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