बढ़ रहे सब्जियों के भावों से बिचौलिए और साहुकार उठा रहे लाभ, किसानो को नहीं मिल पा रहा उनकी मेहनत का मोल Rajendra Suthar, October 5, 2024October 5, 2024 बाजार में खाद्य उत्पादों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, और इस वृद्धि का सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ता है। हाल ही में जारी एक अध्ययन रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि टमाटर, आलू, प्याज जैसे प्रमुख खाद्य उत्पादों की खुदरा कीमतों में किसानों को बहुत कम हिस्सा मिलता है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।जानकारी के अनुसार टमाटर की खुदरा कीमत 70-90 रुपये प्रति किलो है, लेकिन किसान भाइयों को इस कीमत का अधिकतम 33 प्रतिशत ही मिलता है। आलू की खुदरा कीमत में किसानों को 37 प्रतिशत और प्याज की खुदरा कीमत का 36 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। यह स्थिति दर्शाती है कि खाद्य उत्पादों की महंगाई का वास्तविक लाभ किसान नहीं उठा पाते। जानकारी के अनुसार किसानों की इस स्थिति का मुख्य कारण बिचौलियों का दखल और उचित मूल्य का अभाव है।खाद्य उत्पादों का मूल्य निर्धारणआलू के भाव की बात करें तो एक आम उपभोक्ता ने यदि एक किलो आलू के लिए 100 रुपये का भुगतान किया है तो इसमें से केवल 36.7 रुपये किसान को मिलते हैं। शेष राशि विभिन्न बिचौलियों में बंटी हुई है—जैसे ट्रेडर्स को 16.2 रुपये, थोक विक्रेताओं को 16 रुपये और खुदरा दुकानदार को 31 रुपये मिलते हैं। प्याज के लिए भी यही स्थिति है जिसमे किसान भाइयों को 36.2 प्रतिशत, ट्रेडर्स को 17.6 प्रतिशत और थोक विक्रेताओं को 15 प्रतिशत मिलता है।Also Read सौंफ के भाव में उछाल: बेहतर गुणवत्ता वाली ग्रीन सौंफ की बाजारों में बढ़ रही मांग वही प्रोटीन से आधारित उत्पाद की बात करें तो प्रोटीन आधारित उत्पादों जैसे दूध, अंडे और दलहन में किसानों को अधिक हिस्सेदारी मिलती है। उदाहरण के लिए, दूध की खुदरा कीमत में किसानों की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत, पाल्ट्री उत्पादों में 56 प्रतिशत और अंडे में 75 प्रतिशत तक होती है। इसका मतलब यह है कि जब भी इन उत्पादों की कीमतें बढ़ती हैं, किसानों को भी बेहतर लाभ होता है।किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization ): टमाटर, प्याज, आलू जैसी कृषि उत्पादों के भावो में स्थिरता बनाए रखने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की संख्या बढ़ाई जाए। इससे किसानों को सीधे मार्केटिंग में लाभ होगा और बिचौलियों की संख्या में भी कमी आएगी। कृषि उत्पादों की मार्केटिंग में सुधार लाने की भी आवश्यकता है। जिससे कि किसान सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें और लाभ कमा सके।इसके अलावा, फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू करने का सुझाव भी दिया गया है। इससे किसानों को अपने उत्पादों की कीमतों के बारे में पूर्वानुमान करने में मदद मिलेगी, और वे अपने उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेच सकेंगे। यह न केवल किसानों के लिए, बल्कि समग्र कृषि क्षेत्र के लिए भी लाभकारी साबित होगा।निष्कर्षखाद्य उत्पादों की महंगाई और किसानों की हिस्सेदारी एक गंभीर मुद्दा है। जिस पर ध्यान देना आवश्यक है। इस जानकारी से स्पष्ट है कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। बिचौलियों के दखल और मार्केटिंग की कमी और जानकारी के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। यदि सरकार और संबंधित संगठन द्वारा इन मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए तो निश्चित रूप से किसानों की स्थिति में सुधार हो सकता है और उन्हें उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिल सकेगा।आखिरकार एक स्वस्थ और संपन्न कृषि क्षेत्र ही देश की आर्थिक मजबूती का आधार है। किसानों की स्थिति को मजबूत करने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। इससे न केवल किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। कृषि समाचार