राजस्थान में बबूल के पेड़ों से कोयला उत्पादन : किसानों के लिए मुनाफे का नया रास्ता Rajendra Suthar, November 9, 2024November 9, 2024 Coal Production From Acacia Trees : अगर मेहनत करने का हौसला हो तो रास्ते कभी खत्म नहीं होते।” यह कहावत राजस्थान के कुचामन जिले के जाब्दीनगर गांव में सच साबित हो रही है। यहां के व्यापारी और किसान अंग्रेजी बबूल के कांटों और लकड़ी से कोयला बनाकर न केवल अपने जीवन स्तर को ऊपर उठा रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखा रहे हैं कि सही दिशा और सही मेहनत से कुछ भी संभव है। तीन साल तक हनुमानगढ़ के जयप्रकाश और राजेश जाट ने अंग्रेजी बबूल (Babool Tree) के टेंडर पर काम किया और बबूल की लकड़ी से कोयला बनाकर शानदार मुनाफा कमाया। इसके साथ ही जयपुर जिले के भादवा और झोपक कोरसीना गांव में भी विलायती बबूल जूलीफोरा (Juliflora) से कोयला बनाने का काम जोर पकड़ चुका है।इस व्यापार की सबसे दिलचस्प बात यह है कि बबूल के कांटों और शाखाओं से कोयला उत्पादन (Koyla Utpadan) एक परिष्कृत और मेहनत का काम है, जो आज भी उन व्यापारियों द्वारा अपनाया जा रहा है जो प्राकृतिक संसाधनों (Prakrtik sansadhan) से व्यापार करने में विश्वास रखते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे यह अद्भुत और पुरानी प्रक्रिया व्यापारियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है।Also Read किसानों के लिए नई सुविधा: ग्राम पंचायत स्तर पर मिलेगा मौसम पूर्वानुमान बबूल से कोयला बनाने की पारंपरिक विधि (Traditional Method Of Making Coal From Acacia)Babool Se Koyla: बबूल के वृक्ष से कोयला बनाने की पारंपरिक विधि का उपयोग आज भी किया जा रहा है। कोयला निर्माण की यह प्रक्रिया लम्बी होती है। इस प्रक्रिया में समय और मेहनत दोनों की आवश्यकता होती है, लेकिन अंत में तैयार होने वाला कोयला उच्च गुणवत्ता का होता है।कोयला बनाने के लिए सबसे पहले बबूल के पेड़ की जड़ को उखाड़ा जाता है। उसके बाद उसे कुछ दिनों तक धूप में सुखाया जाता है, ताकि लकड़ी में से नमी पूरी तरह से निकल जाए। फिर इस लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है। इसके बाद इस लकड़ी को भट्टी में डाला जाता है। भट्टी में लकड़ी को जलाने की प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि लकड़ी जलकर कोयला बन जाती है, लेकिन जलने की प्रक्रिया के दौरान इसे लगातार नियंत्रित करना पड़ता है, ताकि कोयला का निर्माण सही तरीके से हो सके।यह प्रक्रिया करीब 8 से 10 दिन तक चलती है। इस दौरान भट्टी में आग लगाई जाती है, और भट्टी को बंद कर दिया जाता है, ताकि लकड़ी पूरी तरह से कोयले में बदल जाए। एक भट्टी में लगभग 3 से 4 क्विंटल कोयला तैयार किया जा सकता है।भट्टी का निर्माण (Furnace Construction)कोयला बनाने के प्रक्रिया केवल लकड़ी को जलाने तक सीमित नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है भट्टी का निर्माण। भट्टी के निर्माण के लिए विशेष प्रकार की ईंटों से गोलाकार आकार में चिनाई की जाती है। इस भट्टी में हल्के-हल्के छेद छोड़े जाते हैं, ताकि आक्सीजन की मात्रा नियंत्रित की जा सके और लकड़ी की जलन सही तरीके से हो सके।भट्टी के बीच में एक बड़ा छेद होता है, जो आग को नियंत्रित करें में मदद करता है। इस भट्टी के एक ओर भूमि के साथ अर्धवृताकार या आयताकार आकार का एक रास्ता होता है, जिसमें श्रमिक आसानी से बैठ सकते हैं। भट्टी के निर्माण में मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो भट्टी की मजबूती और तापमान को स्थिर रखने में सहायक होता है।Also Read रबी फसल बुआई से पहले बारिश की कमी: असिंचित खेतों में रकबे में होगी कमी