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चने बुवाई हेतु उन्नत किस्मों का उपयोग कर पाए अच्छी पैदावार: जानिए सम्पूर्ण जानकारी

Rahul Saharan, November 7, 2024November 7, 2024

राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है कि चना एक रबी की फसल है। और चने की फसल की बुवाई ज्यादातर बारानी/असिंचित क्षेत्रों में की जाती है। चना एक प्रकार की दलहन की फसल की है। चना का वैज्ञानिक नाम –सीसर एरीटीनम है। चने की फसल के लिए हल्की और पूर्ण उपजाऊ दोनों प्रकार की जमीन उपयोगी होती है। किसान साथियो चने की फसल के लिए लवण और क्षार रहित भूमि की आवश्यकता होती है तथा साथ ही आसानी से जल की निकासी हो सके। जो किसान भूमि पेटे पर लेकर के खेती करते है उनके लिए चने की फसल की बुवाई बहुत अधिक लाभदायक साबित होती है।

चने की बुवाई (Chane Ki Kheti)

किसान साथियो चने की फसल की समय पर बुवाई लगभग 1 नवंबर से लेकर के 15 नवंबर तक होती है। तथा चने की फसल की पछेती बुवाई का समय लगभग 25 नवंबर से लेकर के 7 दिसंबर तक होता है। जिन किसान भाइयो के खेत की मिट्टी मध्यम और भारी है उन किसान भाइयो को कम से कम एक बार और अधिकतम 2 बात जुताई करे। जुताई करने के बाद किसान भाई देसी मध्यम दाने वाले बीज को लगभग 60 -70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करे। तथा मोटे दाने वाले चने के बीज की बुवाई के लिए लगभग 90-100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करे। और जो किसान भाई काबुली चने की खेती करते है उनको चने का बीज लगभग 80-90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना होगा।

जो किसान भाई सिंचित क्षेत्र में चने की फसल की बुवाई करते है उनको बीज को बोने की गहराई लगभग 5-7 सेंटीमीटर से तथा जो किसान भाई बारानी/असिंचित क्षेत्र में चने की फसल की बुवाई करते है उनको बीज बोने की गहराई लगभग 7-10 सेंटीमीटर पर बुवाई करे। किसान भाइयो चने की फसल की बुवाई में दो पंक्तियों के बीच में दुरी लगभग 30 सेंटीमीटर तथा दो पौधों के बीच की दुरी लगभग 10-15 सेंटीमीटर रखे।

किसान साथियो चने की बुवाई करते समय चने के बीज को अछि तरह से बीजोपचार करना चाहिए। बीजोपचार करने के लिए आप तरल राइजोबियम पीएसबी गंधक तथा जिंक घोल जैव उर्वरको से लगभग 3-5 मिली/किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार कर सकते है। जिससे आपको काफी अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है।

चने की फसल की बुवाई हेतु उन्नत किस्में (Chane ki Unnat Kismen)

किसान साथियों चने की फसल की बुवाई और अच्छी पैदावार के लिए सबसे जरूरी कदम होता है अच्छी किस्मों के बीज का चुनाव करना। किसान साथियों आप चने की फसल की बुवाई और अच्छी पैदावार के लिए निम्न किस्मो का चुनाव करे सकते है।

  1. आरएसजी 895 अर्पिता (RSG-895 Arpita)
  2. आरएसजी 973 आभा (RSG-973 Aabha)
  3. आरएसजी 807 आभार (RSG-807 Aabhar)
  4. आरएसजी 963 आधार (RSG-963 Aadhar)
  5. आरएसजी 945 आशा (RSG-945 Aasha)
  6. आरएसजी 991 अर्पणा (RSG-991 Arpna)
  7. जीएनजी 1581 गणगौर (GNG-1581 Gangor)
  8. आरएसजी 974 अभिलाषा (RSG-974 Abhilasha)
  9. सीएसजे 515 (CSJ-515)
  10. जीएनजी 2171 मीरा (GNG-2171 Meera)
  11. जीएनजी 1958 मरुधर (GNG-1958 Marudhar)
  12. जीएनजी 2144 तीज (GNG-2144 Teej)

चने की फसल हेतु उर्वरक-

किसान साथियों चने की फसल की बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी की जाँच आवश्यक रूप से करवाए। मिट्टी की जाँच के बाद खेत में आखिरी जुताई करते समय बारानी/असिंचित क्षेत्रों में लगभग 10 किलोग्राम नत्रजन तथा लगभग 25 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें। यदि आप चने की फसल की बुवाई सिंचित क्षेत्र में कर रहे है तो लगभग 20 किलोग्राम नत्रजन तथा लगभग 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें। क्योकि सिंचित क्षेत्रों में नमी की मात्रा बहुत अधिक होती है।

किसान साथियो यदि मिट्टी की जाँच में मैगनीज की कमी पायी जाती है तो लगभग 16-17 किलोग्राम मैगनीज सल्फेट तथा यदि मिट्टी की जाँच में गंधक कमी पायी जाती है तो गंधक की पूर्ति करने के लिए लगभग 125 किलोग्राम जिप्सम और यदि मिट्टी की जाँच में जस्ते की कमी पायी जाती है तो लगभग 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव चने की फसल की बुवाई करने से पहले करे।

चने की फसल में सिंचाई (Chane ki Sichai)

किसान साथियों चने की फसल में सिचाई के लिए आप अपने खेत की मिट्टी के प्रकार को बरसात को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई बुवाई करने के लगभग 40 -45 दिनों के बाद करें। किसान साथियो चने की फसल में दूसरी बार पानी देने या दूसरी सिंचाई जब चने में फली बन जाए उस समय करें।

किसान साथियो जैसा की आप सभी को पता है की दिसंबर से लेकर के फरवरी माह तक पाला पड़ने की सम्भावना अधिक प्रबल होती है। तो आप अपनी चने की फसल को पाले से बचाने के लिए घुलनशील गंधक का लगभग 0.2 प्रतिशत यानी 2 ग्राम गंधक प्रति लीटर पानी के हिसाबी से घोल बनाकर के छिड़काव करें। और 15 दिन के अंतराल के बाद किसान भाई एक बार फिर इसी घोल का छिड़काव जरूर करें।

चने की फसल का कीट और रोगों से बचाव

किसान साथियो चने की फसल में फली छेदक कीटों से बचाव करने के लिए जनवरी और फरवरी के महीने में किसान भाइयो को अपने चने की फसल में लगभग 5-6 फेरोमेन ट्रेप प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगाए।

किसान साथियो यदि आप की चने की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देते है तो आप को मैंकोजेब का 0.2 प्रतिशत यानि 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल का 10 दिन के अंतराल पर लगभग 4 छिड़काव करें। या

किसान साथियो यदि आप की चने की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देते है तो आप को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 0.3 प्रतिशत यानि 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल का 10 दिन के अंतराल पर लगभग 4 छिड़काव करें। या

किसान साथियो यदि आप की चने की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देते है तो आप को घुलनशील गंधक का 0.2 प्रतिशत यानि 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल का 10 दिन के अंतराल पर लगभग 4 छिड़काव करें।

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