बासमती चावल पर MEP घटाने की मांग: चावल निर्यातकों ने लिखा PM मोदी को पत्र Rahul Saharan, September 2, 2024September 3, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है कि पिछले कुछ समय से भारत ने चावल के निर्यात पर रोक लगा राखी थी। और इस रोक के कारन भारतीय चावल उद्योग बहुत ही प्रभावित हुआ है। निर्यात पर पांबंदी लगे होने के कारण बाजार में बासमती चावल और गैर बासमती चावल के दामों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा था। हाल ही में सम्पूर्ण भारतीय चावल निर्यात संघ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिख कर बासमती चावल के MEP (न्यूनतम निर्यात मूल्य) को 950 डॉलर प्रति टन से कम कर के 700 डॉलर प्रति टन करने की मांग की है।किसान साथियों सम्पूर्ण भारतीय चावल निर्यात संघ के अनुसार न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) के बहुत अधिक होने के कारण भारत का बासमती चावल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है। जिससे की चावल उद्योग को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ पकिस्तान का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) 700 डॉलर प्रति टन है जिसके कारण वे अच्छा खासा मुनाफ़ा कमा रहे है।किसान साथियो हाल ही में सम्पूर्ण भारतीय चावल निर्यात संघ (All India Rice Exporters Association) का एक मंडल मंगलवार को भारतीय खाद्य एवं सावर्जनिक वितरण तथा केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्री प्रह्लाद जोशी से मिला है। इस मीटिंग में उन्होंने केंद्रीय मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा जिसमे चावल के न्यूनतन निर्यात मूल्य (MEP) को 950 डॉलर प्रति टन से कम कर के 700 डॉलर प्रति टन करने की मांग की है।किसान साथियो हाल ही में सम्पूर्ण भारतीय चावल निर्यात संघ (All India Rice Exporters Association) के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया की चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को काम करने या उसमे सुधार करने की जरूरत है। इनके अनुसार MEP ज्यादा होने के कारण चावल की कम दाम वाली वैराइटी का निर्यात नहीं हो पा रहा है। जिससे भारतीय चावल उद्योग पर बहुत ही विपरीत असर देखने को मिल रहा है।किसान साथियों एक तरफ पकिस्तान का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) 700 डॉलर प्रति टन है जिसके कारण वे अच्छा खासा मुनाफ़ा कमा रहे है। जिसके चलते व्हा के बासमती चावल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। तथा भारत के बासमती चावल के निर्यात मूल्य की मात्रा अधिक होने के कारण भारतीय बासमती चावल की मांग में लगातार कमी देखने को मिल रही है।किसान साथियों सम्पूर्ण भारतीय चावल निर्यात संघ (All India Rice Exporters Association) के अध्यक्ष सतीश गोयल ने भारतीय चावल की मांग को बढ़ाने तथा भारतीय चावल उद्योग को सही दिशा में लाने के लिए एक महत्वपूर्ण बात कही है कि अगर भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत बनाना चाहता है तो बासमती चावल के MEP (न्यूनतम निर्यात मूल्य) को 950 डॉलर प्रति टन से कम कर के 700 डॉलर प्रति टन कर दें। जिससे चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) पकिस्तान के मूल्य के बराबर हो जाएगा। और हमारे चावल की किस्मों की क्वालिटी उनके चावलों से बैहतर है। जिससे हमारा बासमती चावल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपनी पकड़ को मजबूत कर पाएगा।हाल ही में हरियाणा चावल निर्यात संघ (Haryana Rice Exporters Association) ने भारत के केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल तथा मनोहरलाल खट्टर को एक पात्र लिख कर के बासमती चावल के MEP (न्यूनतम निर्यात मूल्य) को 950 डॉलर प्रति टन से कम कर के 700 डॉलर प्रति टन करने की मांग की है। हरियाणा चावल निर्यात संघ के अध्यक्ष सुशील जैन ने बताया है कि भारतीय बासमती चावल 1509 के दाम पिछले वर्षो के मुकाबले काफी कम है जो की एक चिन्ता का विषय है। बाजार में बासमती चावल के दाम लगभग 2500 -2600 रूपये प्रति किवंटल की दर से बिक रहा है। परन्तु पिछले वर्ष यही बासमती चावल लगभग 3300-4000 रूपये प्रति कविंटल तक बिक रहा था।किसान साथियों भारत में बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) ज्यादा होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यह प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है और भारत में इसके दामों में कमी आयति जा रही है जिसके चलते भारतीय चावल उद्योग को काफी ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) ज्यादा होने के कारण मिल मालिक इसको खरीदने में असमर्थ है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग कम हो गयी है। कृषि समाचार