बढ़ती हुई गेहूं की कीमतें, सरकार हर साल कम कर रही है गेहूं खरीद का लक्ष्य Rajendra Suthar, March 2, 2024March 4, 2024 सरकार ने इस वर्ष गेहूं की खरीद का लक्ष्य 3.2 करोड़ टन निर्धारित किया है। यह निर्णय विभिन्न कारणों के आधार पर किया गया हो सकता है, जिनमें घरेलू उत्पादन में बदलाव, बाजार की मांग, भंडारण क्षमता, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार के रुझान शामिल हो सकते हैं। यदि पिछले साल के लक्ष्य से तुलना की जाए, तो यह समझने के लिए कि इस वर्ष लक्ष्य में कितनी कमी आई है, हमें पिछले वर्ष के लक्ष्य के बारे में जानना होगा।मेरे अंतिम अपडेट तक, सरकार ने 2021-2022 में 43.3 मिलियन टन (लगभग 4.33 करोड़ टन) गेहूं की खरीद की थी, जो इतिहास में सबसे अधिक था। यदि इसे वर्तमान लक्ष्य 3.2 करोड़ टन के साथ तुलना की जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि खरीद के लक्ष्य में कमी आई है।इस कमी के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे कि:उत्पादन में परिवर्तन: मौसमी अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन, या कृषि प्रथाओं में बदलाव जैसे कारकों के कारण गेहूं के उत्पादन में वृद्धि या कमी हो सकती है।घरेलू जरूरतें और भंडारण क्षमता: देश में खपत के पैटर्न में बदलाव और भंडारण की सीमित क्षमता भी खरीद लक्ष्यों को प्रभावित कर सकती है।अंतर्राष्ट्रीय बाजार: वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों और मांग में उतार-चढ़ाव भी खरीद नीतियों पर असर डाल सकते हैं।नीतिगत परिवर्तन: सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा, कृषि सहायता, और निर्यात नीतियों में किए गए परिवर्तन भी इस तरह के लक्ष्यों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होते हैं।सरकार द्वारा इस तरह के निर्णय विभिन्न आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक कारकों के विश्लेषण के बाद लिए जाते हैं, जिनका उद्देश्य देश के कृषि सेक्टर को स्थिरता प्रदान करना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है।गेहूं की बढ़ती कीमतों से जल्द मिल सकती है राहतजानकरी के अनुसार माना जा रहा है की इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ सकता है. जिससे आने वाले समय में लोगों को गेहूं की बढ़ती कीमतों से राहत मिल सकती है. पिछले साल 12 जून को केंद्र सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए भंडारण सीमा लगा दी थी.इसके अलावा सरकार ने अपने स्टॉक से बाजार में गेहूं बेचना भी शुरू किया. इसके अलावा आम जनता को सस्ती दरों पर आटा उपलब्ध कराने के लिए ‘भारत आटा’ भी मार्केट में लाया. जिसकी कीमत 27.50 रुपये किलो रखी गई. सरकार के इन प्रयासों के बाद भी देश में गेहूं और आटे के दाम कम होने के बजाय और बढ़ रहे है। कृषि समाचार