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बांस की खेती : बंजर जमीन को बनाएं फायदेमंद और 50 साल तक कमाएं

Rajendra Suthar, August 5, 2024August 5, 2024

आज के समय में जब पर्यावरणीय समस्याएं और आर्थिक अस्थिरता बढ़ रही है, तो किसान नित नए तरीके और नई तकनीक को अपनाकर खेती करके अच्छी कमाई कर रहे है। उसी कड़ी में बांस की खेती एक शानदार विकल्प साबित हो सकती है। क्योंकि बांस न केवल बंजर और अनुपजाऊ जमीन पर उगाया जा सकता है, बल्कि यह दीर्घकालिक लाभ भी प्रदान करता है।

किसान साथियों बांस एक तेजी से वृद्धि करने वाला पौधा है, जो घास की तरह होता है और इसकी कई प्रजातियाँ होती हैं। बांस की खेती मुख्य रूप से एशियाई देशों में की जाती है, लेकिन इसका महत्व और उपयोग विश्वभर में बढ़ रहा है। बांस को उसकी तेजी से वृद्धि, उच्च गुणवत्ता की लकड़ी, और अनेक औद्योगिक उपयोगों के लिए जाना जाता है। बांस की खेती से आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ दोनों प्राप्त होते हैं।

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कैसे करें बांस की खेती

भूमि की तैयारी : बांस की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना काफी महत्वपूर्ण है। बांस सामान्यत: बंजर और अनुपजाऊ भूमि पर भी उग सकता है, लेकिन अच्छी वृद्धि के लिए थोड़ी कंटीली, जल निकासी वाली भूमि आवश्यक है।यदि भूमि अधिक बंजर है, तो भूमि की अच्छी तरह से जुताई करें और उर्वरक डालकर, मिट्टी में सुधार करें।

उन्नत किस्म के बीजों का चयन करें : बांस के खेती प्रमुख रूप से भारत के पूर्वी भाग में होती है। एक हैक्टेयर भूमि पर बांस के लगभग 1500 पौधों की रोपाई की जा सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि पौधें से पौधें के दूरी 2.5 मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर रहनी चाहिए जिससे फसल की वृद्धि के बाद संघनता नहीं रहें। बांस के किस्मों की बात करें तो बांस की कुल 136 किस्में हैं।

बांस की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय किस्मों मेंपॉलीमोर्फा, किमोनोबम्बुसा फाल्काटा, डेंड्रोकलामस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकलामस हैमिल्टनी बम्बुसा ऑरैंडिनेसी, बम्बुसा और मेलोकाना बेकिफेरा हैं।

बांस की रोपाई का समय : बांस के पौधों की रोपाई के लिए जुलाई और अगस्त का महीना उत्तम रहता है। बांस का पौधा 3 से 4 साल में कटाई योग्य हो जाती है।

सिंचाई: बांस की अच्छी वृद्धि के लिए नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेषकर सूखे मौसम में।

निवारण: पौधों को कीट और रोगों से बचाने के लिए उचित निवारण विधियों का उपयोग करें। प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करने की कोशिश करें ताकि पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

कटाई: बांस के पहले कटाई की उम्र लगभग 3-4 साल होती है। इसके बाद, बांस की टहनियों को हर 2-3 साल में काटा जा सकता है, जो उपयोग के लिए तैयार हो जाती हैं।

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बांस की खेती के लाभ

बांस एक बार रोपण के बाद 50 साल तक फायदा पहुंचा सकता है। इसका मतलब है कि एक बार बांस की खेती शुरू करने के बाद, आप कई दशकों तक नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं। अनुमान के अनुसार बांस की खेती से 4 साल में एक हैक्टेयर में 40 लाख रूपये की कमाई की जा सकती है।

बांस पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि बांस कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है, हवा को शुद्ध करता है, और मिट्टी के कटाव को रोकता है। इसके अलावा, बांस का उपयोग जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक प्रभावी उपाय के रूप में किया जा सकता है।

बांस का उपयोग निर्माण सामग्री, फर्नीचर, कागज, औषधि, और सजावटी सामान में किया जाता है। इसकी व्यापारिकता इसे एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसल बनाती है। साथ ही बांस की खेती की प्रारंभिक लागत अपेक्षाकृत कम होती है और इसमें महंगे रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है।

मध्यप्रदेश की सरकार की मदद

राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत, यदि बांस की खेती में अधिक खर्च आ रहा है, तो केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करेंगी। सरकार द्वारा बांस की खेती के लिए दी जाने वाली सहायता राशि के अंतर्गत, कुल लागत का 50 प्रतिशत किसानों को और 50 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा किसान को 120 रूपये प्रति बांस के पौधें पर सहायता राशि प्रदान की जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट  पर जाकर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

निष्कर्ष

किसान साथियों बांस की खेती एक दीर्घकालिक और लाभकारी कृषि व्यवसाय हो सकता है, जो बंजर भूमि को भी उपयोगी बना सकता है। इसके पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ इसे खेती का एक अच्छा विकल्प बनाता हैं। यदि सही तैयारी, उचित प्रबंधन, और कृषि विशेषज्ञ सलाह के साथ, बांस की खेती की जाए तो कई सालों तक स्थिर आय प्राप्त की जा सकती हैं। यदि आप भी बंजर जमीन को फायदेमंद बनाना चाहते हैं, तो बांस की खेती आपके लिए एक सही विकल्प हो सकता है।

Disclaimer– हम emandibhav.com के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को फसल/फल खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देते हैं, हम सिर्फ आप तक बाजार के भाव पहुंचाने का प्रयास करते हैं जिससे आपको अपना निर्णय लेने में सहायता हो। अपनी फसल की खरीद फरोख्त करते समय अपनी सम्बन्धित कृषि मंडी सिमिति से भाव की पुष्टि जरुर कर ले।आपके किसी भी प्रकार के वित्तीय नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

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