बंजर भूमि में एलोवीरा की खेती(Alovera Cultivation): जानिए औषधीय गुण और उन्नत पैदावार के तरीके Rahul Saharan, August 29, 2024August 31, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी जानते है कि एलोवीरा एक औषधीय महत्व वाला पौधा है। और किसान भाई अपनी बेकार पड़ी या बंजर भूमि में भी एलोवीरा की खेती(Alovera Cultivation) कर सकते है। और इसकी खेती में ज्यादा देखभाल करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। और इसका बेचान भी बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। और एलोवीरा के उन्नंत पैदावार लेने के लिए आपको बहुत ज्यादा देखभाल की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। Also Read कृषक पुरस्कार योजना : अब हर किसान जीत सकता है 50000 रूपये एलोवीरा का परिचय और औषधीय गुण- एलोवीरा सामान्यत: उत्तरी अफ्रीका का पौधा है। एलोवीरा का सामान्य नाम ग्वारपाठा या घृतकुमारी होता है। इसका पौधा बिना तने का बहुत ही छोटा और रसीला पौधा होता है। यह एक औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है। इसके अर्क का उपयोग एक बहुत बड़े स्तर पर सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है। एलोवीरा का उपयोग शुगर/ मधुमेह के इलाज में किया जाता है। और एलोवीरा का उपयोग मानव शरीर में लिपिड के स्तर में कमी करता है। एलोवीरा की खेती(Alovera Cultivation) कब व कैसे होती है-किसान साथियों एलोवीरा की खेती करने का सही समय होता है जुलाई और अगस्त महीना। इस समय आप अपने खेतो में गोबर की खाद डालकर उनको जुताई के द्वारा मिट्टी के अंदर मिला दे। और इसकी खेती में एक खास बात ये होती है की इसकी जुताई के समय आपको रासायनिक उर्वरको के उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। किसान साथियो एलोवीरा बुवाई करने के आपको इसके कंद का उपयोग करना होता है। और ये कंद आप पुराने एलोवीरा के पौधों की जड़ो से प्राप्त कर सकते है। या अपने आस पास मौजूद नर्सरी पर एलोवीरा के पौधे मौजूद हो वहाँ से कंद प्राप्त कर सकते है। अब तैयार किये गए पौधों को आप अपने 50-50 सेंटीमीटर दूरी पर लगा देवे। तथा पौधों प्रति दो लाइनों के बाद कुछ जगह आवश्य छोड़ दे ताकि रसायनो के छिड़काव तथा उसमे निराई-गुड़ाई करने में आसानी हो सके। इस विधि आप अपने खेत के 1 हैक्टेयर भाग में लगभग 40 हजार पौधे लगा सकते है।एलोवीरा की खेती(Alovera Cultivation) उन्नत तरीके-एलोवीरा का पौधा लगा देने के बाद 1 वर्ष तक आपको इसमें कुछ नहीं करना है खाद और निराई-गुड़ाई के अलावा। एक वर्ष के बाद आप को एक साल में प्रत्येक 3 महीनो के बाद हर पौधे की तीन से चार लाइनों को छोड़कर बाकि को चाकू या ब्लेड की सहायता से जहाँ से वे जुड़े रहते है, वहाँ से काट देना है। इस विधि के द्वारा आप एलोवीरा का लगतार और अच्छा पैदावार ले सकते है।Also Read अब गिरदावरी के लिए नहीं लगाने पड़ेगें दफ्तरों के चक्कर, किसान कर सकेंगे ऑनलाइन गिरदावरी : जानिए सम्पूर्ण जानकारी एलोवीरा की खेती(Alovera Cultivation) के उपयोग –मानव हेतु उपयोग- किसान साथियों एलोवीरा को चिकित्सा तथा औषधीय महत्व वाला और सौंदर्य प्रसाधन बनाने बहुत अधिक मात्रा में उपयोग किया जाता है। इसका स्वाद बहुत ही कड़वा होता है तथा इसका उपयोग कुछ मिठाइयों आदि में एक घटक के रूप में किया जाता है। हमारे द्वारा बनाये गए ताजा भोजन को सरंक्षित करने में इसका उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही एलोवीरा का उपयोग जैव ईंधन के रूप में भी किया जाता है। और भेड़ों में कृत्रिम गर्भधान करवाने के लिए उनके वीर्य को पतला करने के लिए एलोवीरा का उपयोग किया जाता है। छोटे खेतो में जल संरक्षण करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।चिकित्सा में उपयोग- किसान साथियों भारत के साथ साथ जापान तथा चीन जैसे देशो में भी एलोवीरा का उपयोग चिकित्सा के रूप में किया जाता है। किसी भी प्रकार के घाव को भरने के लिए आप एलोवीरा का उपयोग कर सकते है। यदि इसका उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाए हमारे लिए बहुत ज्यादा हानिकारक हो सकता है। एलोवीरा का उपयोग शुगर/ मधुमेह के इलाज में किया जाता है। और एलोवीरा का उपयोग मानव शरीर में लिपिड के स्तर में कमी करता है। कृषि सलाह