आलू की खेती (Aalu Ki Khetee): जानिए आलू में लगने वाले प्रमुख रोग व कीट एवं उनका प्रबंधन Rajendra Suthar, October 29, 2024October 29, 2024 Potato Cultivation: किसान साथियों आलू की फसल एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, लेकिन इसे विभिन्न कीटों और रोगों से खतरा होता है। आलू (Solanum tuberosum) एक बहुपरकारी फसल है, जो दुनिया भर में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। यह न केवल महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है, बल्कि इसकी खेती से किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है। लेकिन इसे विभिन्न कीटों और रोगों से खतरा होता है। इस पोस्ट में हम आलू पर लगने वाले प्रमुख कीटों और रोगों की पहचान, उनके प्रभाव और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करेंगे।आलू में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनका प्रबंधनमाहू (Aphids)माहू एक सर्वव्यापी और बहुभक्षी कीट होता है, जो आलू की फसल पर गहरे हरे या काले रंग में पाया जाता है। ये पंखदार और पंखहीन दोनों प्रकार के होते हैं और पत्तियों तथा शाखाओं का रस चूसते हैं। जिसके कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं और पीली पड़कर सूख जाती हैं। माहू की पंखदार जाति विषाणुओं के फैलाव में सहायता करती है, जिससे बीज आलू की गुणवत्ता प्रभावित होती है।माहू कीट के रोकथाम के उपाय: गंगा के मैदानी क्षेत्रों में आलू की फसल की बुवाई माहू रहित अवधि में करनी चाहिए। इसके साथ ही आलू और अन्य अन्य सब्जियों की फसल के बीच कम से कम 50 मीटर की दूरी रखें। माहू ग्रसित पौधों, विशेषकर पीले रंग के फूल वाले पौधों को उखाड़ कर नष्ट करें।माहू कीट से बचाव के उपाय: साडावीर फंगस फाइटर का नियमित प्रयोग करें। जड़ पर अमोनियम सल्फेट के साथ 1.5 किलोग्राम साडावीर का प्रयोग करें।Also Read दिवाली सीजन में नकली घी से सावधान: जानिए शुद्ध देसी घी की पहचान कैसे करें ? कुतरा सुंडियांकुतरा की सुंडियां आलू के पौधों और उगते हुए कंदों को काट देती हैं, जिससे बाजार में आलू का मूल्य कम हो जाता है। यह कीट रात में सक्रिय रहता है।कुतरा सुंडियां से बचाव उपाय : इस प्रकार के कीट से बचाव के लिए गोमूत्र में 2 किलोग्राम अकौआ की पत्ती, 2 किलोग्राम नीम की पत्ती, और 2 किलोग्राम बेशरम की पत्ती मिलाकर 10-15 दिन तक सड़ाएं। फिर इसे उबालकर 1 लीटर मिश्रण को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।व्हाइट गर्थ (कुरमुला)व्हाइट गर्थ सफेद या सलेटी रंग का होता है, जो जमीन के अंदर रहकर पौधों की जड़ों को क्षति पहुंचाता है। यह आलू में छिद्र कर देता है, जिससे आलू का बाजार मूल्य प्रभावित होता है।उपचार: 10 लीटर गाय के गोमूत्र में 2 किलोग्राम अकौआ की पत्ती मिलाकर 10-15 दिन तक सड़ाएं। फिर उबालकर 1 लीटर मिश्रण को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।एपिलेकना कीटयह छोटा, पीला-भूरा कीट होता है, जो पत्तियों को खा जाता है। अवयस्क और प्रौढ़ दोनों ही कीट क्षति पहुंचाते हैं।उपचार: इस कीट से बचवा के लिए 10 लीटर देसी गाय के गोमूत्र में 2 किलोग्राम अकौआ, 2 किलोग्राम नीम की पत्ती, और 2 किलोग्राम बेशरम की पत्ती मिलाकर 10-15 दिन तक सड़ाएं। फिर 1 लीटर मिश्रण को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।आलू में लगने वाले प्रमुख रोग एवं उनका प्रबंधनअगेती अंगमारी रोगयह रोग आल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंदी के कारण होता है। इससे पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं।उपचार: इस रोग से बचाव के लिए जड़ पर अमोनियम सल्फेट 25 किलोग्राम और साडावीर 2 किलोग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग करें।पिछेती अंगमारी रोगयह रोग फाइटोपथोरा इन्फैस्तैन्स नामक फफूंदी द्वारा होता है। इससे पत्तियों की शिराओं और तनों पर भूरे धब्बे उभर आते हैं।उपचार: अमोनियम सल्फेट 25 किलोग्राम और साडावीर 2 किलोग्राम प्रति एकड़ का प्रयोग करें। इसके साथ ही 500 ग्राम लहसुन और 500 ग्राम तीखी मिर्च को पीसकर 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करके भी इस रोग से बचाव किया जा सकता है।आलू की फसल की सुरक्षा के लिए किसानों को इन कीटों और रोगों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। सही समय पर रोकथाम और उपचार से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। खेती में जैविक उपायों का प्रयोग करके न केवल फसल की सुरक्षा की जा सकती है, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा की जा सकती है। कृषि सलाह