खुर गलन रोग (Khur Galan Rog): बारिश में खुर गलने से पशुओं की रक्षा कैसे करें Rahul Saharan, September 7, 2024September 7, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि पिछले तक़रीबन 2 महीनो से लगातार बारिश का मौसम चल रहा है। अत्यधिक बारिश के कारण पशुओं को बांधने की जगह पर कीचड़ फैला रहता है जिससे की अत्यधिक कीचड़ में लगातार खड़े रहने से पशुओं के खुर नीचे से गलने लग जाते है। और यह एक प्रकार का बहुत ही संक्रामक और अत्यधिक हानिकारक विषाणुजनित रोग है इसका रोग का नाम- खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) है।Also Read राजस्थान में मिला 1.16 लाख करोड़ का गोल्ड भंडार : जानिए सम्पूर्ण जानकारी खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) क्या है- इस रोग में पशु अत्यधिक समय तक पानी में या कीचड़ में खड़ा रहने के कारण उनके खुर गलने लग जाते है। यह रोग पालतू पशुओं जैसे कि भेड़, बकरी, सूअर, गाय, भैंस आदि के साथ साथ जंगली पशुओं जैसे कि हिरण, नीलगाय आदि को भी हो सकता है। इस रोग में पशु अत्यधिक समय तक पानी में रहने के कारण उनके खुर नीचे से गलने लग जाते है। जिसके कारण उनके खुरों में सूजन आ जाती है साथ ही खुरों में जख्म हो जाते है। जिसके कारण कभी कभी नेक्रोसिस रोग भी हो जाता है।खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) के लक्षण-किसान साथियो खुर गलन होने पर पशुओं को अत्यधिक दर्द के कारण तेज बुखार आ जाता है। और अत्यधिक तेज बुखार और दर्द के कारण पशु खाना पीना कम कर देते है कभी-कभी पशु बिलकुल ही खाना पीना बंद कर देते है। और खुर में गलन होने के कारण और दर्द के कारण पशु लंगड़ाकर चलना शुरू कर देते है। जो दूध देने वाले दुधारू पशु होते है वे दूध देना एक दम से कम कर देते है। कभी कभी पशुओ का खुर पैर से अलग ही हो जाता है। तथा गर्भवती पशुओं में इस रोग के कारन गर्भपात की सम्भावना भी बाद जाती है।खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) का एक अन्य प्रकार-किसान साथियो खुर गलन रोग भी दो प्रकार का होता है एक तो सामान्य खुर गलन रोग जिसकी चर्चा हम ऊपर कर चुके है। इसमें दूसरा प्रकार- सुपर खुर गलन होता है। यह रोग पशुओं में बहुत अधिक तेज गति से फैलता है। इस रोग के अंदर पशु के खुरो में घाव अधिक होता है। यह रोग फुजोबैक्टीरियम नेक्रोफोरम के एन्टिबायोटिक रेजिडेंट स्ट्रेन के कारण होता है। यह रोग बहुत आसानी से ठीक नहीं होता है। इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पशु चिकित्सक से पशु का इलाज करवाए।खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) का उपचार-इस रोग का उपचार करने के लिए आप निम्नलिखित चरणों का उपयोग कर सकते है –संक्रमित पशुओं के खुर को लाल दवा या किसी एंटीसेप्टिक दवा से धोना चाहिए।संक्रमित पशुओं को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए।संक्रमित पशुओं के खुरों को नीम और पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर लगाना चाहिए।संक्रमित पशुओं के खुरों को फिनायल वाले पानी से दिन में 2-3 बार धोना चाहिए तथा मक्खियों से बचाव करना चाहिए।अधिक संक्रमित पशुओं को पशु चिकित्सक को दिखाकर उचित टीकाकरण करवाना चाहिए।Also Read खाद और बीज की बुवाई का आसान तरीका: सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) में क्या सावधानी बरतें-पशुओं में यह रोग हो जाने पर पशुपालको को निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए –इस रोग से संक्रमित पशुओं को सूखे तथा हवा वाले स्थानों पर बांधना चाहिए।इस रोग से संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं को से अलग बांधना चाहिए।जो व्यक्ति इन संक्रमित पशुओं की देखभाल करते है उनको भी अपने हाथ पैरो को अच्छी तरह से धोकर स्वस्थ पशुओं के पास जाना चाहिए।खुर गलन रोग (Khur Galan Rog) हेतु टीकाकरण –किसान साथियों सामान्य तौर पर तो इस रोग के लिए कोई विशिष्ट टिका नहीं बना है। परन्तु पशुओं को इस रोग से बचने के लिए आप को जो पशु छह माह से ऊपर के हो चुके है उनमे खुर गलन के रोग के बचाव के लिए टीकाकरण करवाना चहिये। तथा साथ ही अपने पास के पशुचिकित्सक से इस रोग से बचाव हेतु समय समय पर परामर्श लेते रहना चाहिए। कृषि समाचार