रबी फसल बुआई से पहले बारिश की कमी: असिंचित खेतों में रकबे में होगी कमी Rajendra Suthar, November 6, 2024November 6, 2024 Rabee Fasal Buaee: चौसला क्षेत्र में रबी फसल की बुआई को लेकर किसानों के सामने कई कठिनाइयाँ आ रही हैं। हाल ही में बारिश न होने और दिन में तेज धूप के चलते खेतों की मिट्टी की नमी सूख गई है। इस कारण किसानों को सिंचाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कुओं का जलस्तर तो बढ़ा है, लेकिन बारिश की कमी और धूप के चलते मिट्टी को गीला करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।किसान साथियों से बात करने पर उन्होंने बताया की गेहूं की फसल को अधिक पानी की जरूरत होती है, जिससे इस साल गेहूं का रकबा घट सकता है। किसान बारिश होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि बिना बारिश के बुआई की प्रक्रिया में मुश्किलें आ रही हैं। जिन किसानों के कुएं में पानी है, वे सिंचाई कर बुआई की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं।वर्तमान में किसान कम पानी की जरूरत वाली फसलों जैसे जीरा, सरसों, तारामीरा, पालक और रायड़ा के बुआई पर जोर दे रहे है। तापमान के पारे में कमी न आने से खेतों की मिट्टी से नमी का असर गायब हो रहा है। इससे सिंचाई साधन विहीन किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि वे कौनसी फसल की बुआई करें।सरसों की बुआई (Sarson Buaee)की चिंतागेहूं के लिए पानी की अधिक जरूरत होती है, और इसके पूर्व सरसों की बुआई को लेकर भी किसान चिंतित हैं। सरसों की बुआई करने वाले किसान इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर वे अभी बुआई करेंगे तो पौधों के जलने की आशंका है। दूसरी ओर, अगर वे बाद में बुआई करेंगे, तो माहू और फफूंदी जैसे रोगों का सामना करना पड़ सकता है।मौसम का प्रभाव (Mausam Ka Prabhav)किसानों भाइयों को यह चिंता भी है कि आमतौर पर सरसों की बुआई 15 से 31 अक्टूबर के बीच होती है, लेकिन अभी भी कई किसान सरसों की बुआई नहीं कर पाए हैं। वे तापमान में कमी का इंतजार कर रहे हैं। लंबे समय तक बुआई को टाला नहीं जा सकता, इसलिए किसान अब नवम्बर के पहले पखवाड़े में बुआई करने की योजना बना रहे हैं।किसानों को यह चिंता भी है कि आमतौर पर सरसों की बुआई 15 से 31 अक्टूबर के बीच होती है, लेकिन अभी भी कई किसान सरसों की बुआई नहीं कर पाए हैं। वे तापमान में कमी का इंतजार कर रहे हैं। लंबे समय तक बुआई को टाला नहीं जा सकता, इसलिए किसान अब नवम्बर के पहले पखवाड़े में बुआई करने की योजना बना रहे हैं।किसानों का कहना है कि यदि मौसम में बदलाव नहीं आया, तो उन्हें अपने फसल पैटर्न में बदलाव करना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें कम पानी की जरूरत वाली फसलों की ओर ध्यान देना होगा। इससे न केवल उन्हें जल संकट से बचने में मदद मिलेगी, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी।स्थानीय कृषि विभाग को चाहिए कि वह किसानों को इस स्थिति में सहायता प्रदान करे। उन्हें उचित मार्गदर्शन देकर, मौसम के अनुसार फसल चयन में मदद करना आवश्यक है। इसके अलावा, जल प्रबंधन के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जा सकती हैं, जिससे किसान सही जानकारी प्राप्त कर सकें।निष्कर्षइस समय चौसला क्षेत्र के किसान कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। बारिश की कमी और तेज धूप ने उनकी फसल बुआई को प्रभावित किया है। अगर मौसम का मिजाज जल्दी बदलता है, तो शायद किसान अपनी फसल बुआई में सफल हो सकें। अन्यथा, उन्हें भविष्य के लिए नई योजनाएँ बनाने की आवश्यकता होगी।इन चुनौतियों के बीच, किसानों का धैर्य और समझदारी ही उनके लिए सबसे बड़ा सहारा बन सकती है। उन्हें चाहिए कि वे एकजुट होकर अपनी समस्याओं का समाधान खोजें और कृषि विभाग से सहयोग लें। इस प्रकार, चौसला क्षेत्र में कृषि को आगे बढ़ाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं। कृषि समाचार