नकली सरसों (Fake Mustard): एक नई कृषि धोखाधड़ी की कहानी Rajendra Suthar, October 14, 2024October 14, 2024 भारत कृषि प्रधान देश है और भारत में कृषि क्षेत्र हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से कृषि उत्पादों में मिलावट और नकली सामान की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। हाल ही के दिनों में जयपुर से जानकारी मिली है की खीरे के बीजों के बाद अब नकली सरसों बाजार में दस्तक दे चुकी है। जो किसानों और व्यापारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है।नकली सरसों का मतलब है ऐसी सरसों के बीज जो असली नहीं होते। ये बीज आमतौर पर अन्य सस्ती और कम मूल्यवान फसलों के बीजों को सरसों के बीज के रूप में बेचने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, कई बार बीजों में मिलावट की जाती है, जिससे उनका उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होती है।जयपुर में एक व्यापारी ने सरसों की खेप मंगवाई लेकिन जब उसने इसकी जांच की तो पता चला की यह सरसों असली नहीं बल्कि मिट्टी और सीमेंट के दानों पर पॉलिश की हुई नकली सरसों थी। यह नकली सरसों मिलावटखोरों द्वारा इतनी चालाकी से तैयार की गई थी की यह हूबहू असली सरसों के जैसे दिखाई दे रही थी।व्यापारी ने सरसों जब फर्म को वापिस लौटाई तो व्यापारी को फर्म ने 4 लाख रूपये लौटाए जबकि सौदा 15 लाख का हुआ था। व्यापारी ने जब बाकी की रकम अदा करनी की बात की तो फर्म द्वारा मना कर दिया गया। तब व्यापारी द्वारा मामला न्यायालय में ले जाने का निर्णय लिया गया। यह घटना न केवल व्यापारी के लिए बल्कि पुरे कृषि व्यापार के लिए एक चेतावनी बन गई है। भरतपुर और समीपी जिलों की मंडियों में भी इसी प्रकार से नकली सरसों के मामलें सामने आ चुके है।मिलावट की तकनीकAlso Read किसान सुधार योजना (Kisaan Sudhar Yojana): पराली प्रबंधन के लिए लोन का प्रावधान जांच के दौरान पाया गया कि, जब नकली सरसों को पानी में डाला जाता है तो यह आसानी से घुल जाती है। विशेषज्ञों ने बताया की सरसों भले ही नकली हो परन्तु इसमें तेल की मात्रा 42-43% होती है। तेल की मात्रा अधिक होने के कारण लैब में यह आसानी से पकड़ में भी नहीं आती है। इस प्रकार यह मिलावटखोरी की एक नई परत को उजागर करता है, जो कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।प्रभाव और संभावित समाधानइस प्रकार से खाद्य उत्पादों में की गई मिलावट न केवल व्यापारियों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनती है, बल्कि किसानों की मेहनत पर भी पानी फेरती है। यदि उचित तरीकों से इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यह किसानों के विश्वास को तोड़ने का काम कर सकती है।सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इस दिशा में कड़े कदम उठाएं। कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए जांच प्रणाली को और मजबूत करें। साथ ही किसानों और व्यापारियों को इस बारें में जागरूक करने की भी आवश्यकता है ताकि वे भविष्य में धोखाधड़ी के मामलों से बच सकें।उपभोक्ताओं के भी इस विषय में सतर्क रहने की आवश्यकता है। नकली उत्पादों के प्रयोग से न केवल स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह आर्थिक नुकसान का भी कारण बन सकता है। इसलिए जब भी वे कोई कृषि उत्पाद खरीदें तो उसकी गुणवत्ता और प्रामाणिकता की जाँच अवश्य करें।निष्कर्षनकली सरसों का मामला केवल एक उदाहरण है जो यह सोचने पर विवश करता है कि कृषि क्षेत्र में ऐसी मिलावटखोरी का खात्मा कैसी किया जा सकता है। यह सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है कि इस समस्या के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो और मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में मदद करें।सभी किसान साथियों, उपभोक्ताओं और व्यापारियों को अपनी कृषि प्रणालियों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए काम करना होगा, ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित खाद्य उत्पादों का स्रोत मिल सके। सरकार, व्यापारी और किसान, सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, ताकि हमें भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े। कृषि समाचार