किसान और बाजार: एमएसपी पर खरीद न होने से लागत मूल्य पर खतरा Rajendra Suthar, October 10, 2024October 10, 2024 त्योहारी सीजन के आगमन के साथ ही हाड़ौती की अनाज मंडियों में सोयाबीन की आवक बढ़ गई है। मुख्य रूप से भामाशाह मंडी में सोयाबीन की उपज की आवक 70 से 80 हजार बोरी तक पहुँच चुकी है। लेकिन इसके साथ ही एक और चिंता सामने आ रही है, किसानों भाइयों को सोयाबीन बेचने पर भारी नुकसान हो रहा है। क्योकि वर्तमान में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपये प्रति क्विंटल है। लेकिन मंडियों में इसका औसत भाव 4000 से 4200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जिस कारण से किसान साथियों को प्रति क्विंटल 500 से 800 रुपये का नुकसान हो रहा है।किसानों ने बताया कि हाड़ौती में खरीफ सीजन में सोयाबीन प्रमुख फसल होती है। इस वर्ष सोयाबीन की लगभग सात लाख हैक्टेयर बुवाई की गई है, और उत्पादन का आकलन भी सात लाख मीट्रिक टन किया गया है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में अतिवृष्टि से सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है, जिससे उत्पादन की मात्रा घट गई है।डीओसी का निर्यात और दाम में गिरावट : सोयाबीन में तेल की मात्रा 18 से 20 प्रतिशत होती है, जबकि शेष हिस्सा डीओसी (खल) के रूप में निकलता है। डीओसी का निर्यात नहीं होने से इसकी मांग में कमी देखने को मिली है। जिसके कारण सोयाबीन के दामों में गिरावट आई है। इसके साथ ही पॉम ऑयल के आयात का भी दामों पर असर पड़ा है।सरकार की ओर से समर्थन मूल्य की घोषणाएँराजफैड ने सोयाबीन और उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद के लिए गाइडलाइन जारी की है। उड़द का MSP 7400 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का 4892 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके लिए कोटा में विभिन्न खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। लेकिन किसानों की मांग है कि सरकार को उनके हित में 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल बोनस मूल्य भी घोषित करना चाहिए।Also Read ऑर्गेनिक खेती कर कमाए सालाना 25 लाख रुपए : जानिए पूर्वा जिंदल की सफलता की कहानी भामाशाह मंडी में सोयाबीन की आवक की बात करें तो सोयाबीन की आवक 25 से 130 हजार बोरी की हो रही है। वर्तमान मे भाव में कमी के कारण कई किसान अपनी फसल को बेचने से हिचक रहे हैं। यह यह स्थिति केवल वित्तीय नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे किसानों की मानसिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है। वे अपनी मेहनत के फल को उचित मूल्य पर नहीं बेच पा रहे हैं, जिससे उनके आर्थिक भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।वही किसानों का संघर्ष केवल बाजार के भावों से नहीं है, ल्कि यह उनकी मेहनत और जीविका का सवाल है। जब किसान साथी अपने खेतों में काम करते हैं, तो उनकी मेहनत का प्रतिफल मिलना चाहिए। लेकिन वर्तमान में, जब वे अपने उत्पाद को मंडी में लाते हैं, तो उन्हें उससे उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।किसानों भाइयों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार को अधिक सक्रियता दिखानी चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे MSP की समीक्षा करें और इसे लागत मूल्य के अनुसार बढ़ाएं। साथ ही, कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके।निष्कर्षकिसान हमारे समाज की रीढ़ हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है। इस समय हाड़ौती के किसान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। उनके संघर्ष और आवाज़ को सुनना आवश्यक है, ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें। सरकार को उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि किसानों की स्थिति में सुधार हो सके।किसानों का जीवन उनकी मेहनत और फसल पर निर्भर करता है। इसलिए, उन्हें सम्मान और उचित मूल्य मिलना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें और कृषि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे। कृषि समाचार