खेत की मेड़ पर लगाएं अरडू के पेड़ और पाएं अतिरिक्त कमाई का सुनहरा अवसर : जानिए सफल किसानों की कहानी Rajendra Suthar, September 26, 2024September 26, 2024 किसान साथियों भीलवाड़ा के किसानों ने खेतों की मेड़ पर अरडू के पेड़ लगाकर न केवल अपनी आय में बढ़ोतरी की है बल्कि अपने पशुओं के लिए भी पौष्टिक चारे का प्रबंध किया है। पिछले पांच वर्षों में इन पेड़ों की निरंतर देखभाल से आज ये पेड़ तैयार हो चुके हैं। अरडू के पत्ते बकरियों और ऊंटों का प्रिय भोजन बन गए हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ हो रहा है।सजन मीणा की कहानी : सजन मीणा जो की एक प्रगतिशील किसान है। उन्होंने नर्सरी से प्रेरणा लेकर 15 रुपए प्रति पौधे की दर से 300 अरडू के पौधे लगाए। उनका कहना है कि जब ये पेड़ बड़े होंगे, तो उनकी बिक्री से उन्हें अच्छी आय प्राप्त होगी। इस प्रकार की खेती न केवल आमदनी का स्रोत है, बल्कि यह किसानों के लिए एक नया अवसर भी प्रदान करती है।रामप्रकाश स्वामी की सफलता : किसान भाई रामप्रकाश स्वामी का अनुभव भी अनोखा है। उन्होंने बताया कि अरडू के पेड़ों से उन्हें न केवल अच्छी कमाई हुई बल्कि पशुओं के लिए चारा भी मिला। उनके खेत के चारों ओर अरडू के पेड़ लगे हुए हैं जो खेत की बाड़ का काम भी करते है साथ ही छाया भी प्रदान करते है। स्वामी ने अपने अनुभव से सीखा है कि पारंपरिक खेती पर निर्भर रहकर अपनी आय को दुगनी नहीं किया जा सकता है। अरडू के पेड़ों से उन्होंने 92 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई की है। इसके अलावा इन पेड़ों को अधिक देखभाल की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। सप्ताह में एक बार पानी देना ही काफी होता है।नाहराराम और देवाराम की कहानी : किसान नाहराराम और देवाराम बलाई ने भी अरडू के पेड़ों से 40 हजार रुपए का मुनाफा कमाया है। उन्होंने बताया कि ऐसे कई किसान हैं जो अरडू के पेड़ों से निरंतर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। यह एक ऐसा कृषि मॉडल है जो कम मेहनत में अधिक मुनाफा दे सकता है।अरडू (Ardu) के पेड़ों के फायदेकम मेहनत, अधिक लाभ : अरडू के पेड़ों को लगाने में कम खर्च और मेहनत लगती है। ये ऊंचाई में बढ़ते हैं और अधिक जगह नहीं घेरते। इसे खेत के किनारो पर आसानी से लगाया जा सकता है, जिससे किसान बिना अधिक मेहनत किए अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।Also Read 14 साल की मेहनत: 1000 साल पुराने बीज से उगा दिए लुप्त पेड़ जलवायु : अरडू के पेड़ों को लगाने के लिए किसी विशेष जलवायु की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार के पेड़ों को किसी भी प्रकार की जमीन पर उगाया जा सकता है। शुरुआत में इन्हें पानी देने की आवश्यकता होती है बाद में जड़े गहरी होने पर अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।खेतिहर मजदूरों को शीतल छाया : अरडू के पेड़ खेत में फसल के साथ लगाकर किसानों को कई लाभ मिलते हैं। पेड़ों के बीच मूंग, मोठ, तिल, मूंगफली, ग्वार, गेहूं, जौ और चना जैसी फसलें ली जा सकती हैं। हरे-भरे पेड़ों से न केवल शुद्ध हवा मिलती है, बल्कि खेत में काम करने वालों को शीतल छाया भी मिलती है। इसके अलावा, अरडू के पेड़ों के पत्ते खेत में झड़ जाते हैं, जो फसलों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करते हैं। यह मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है।फर्नीचर में उपयोगी लकड़ी : अरडू की लकड़ी काफी मुलायम होती है और इसको आसानी से मनचाही आकृति में ढाला जा सकता है। इसकी लकड़ी का उपयोग प्लाई, खिलौने बनाने, और कई तरह के फर्नीचर बनाने में किया जा सकता है। इस प्रकार, किसान न केवल फसल से, बल्कि लकड़ी से भी आय प्राप्त कर सकते हैं।पशुओं के लिए पौष्टिक आहार : किसान बताते हैं कि अरडू की पत्तियां पशुओं के लिए पौष्टिक आहार में भी काम आती है। जब इन पत्तियों को दुधारू पशुओं को खिलाया जाता है, तो न केवल दूध की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, बल्कि पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति भी बेहतर होती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करती है।निष्कर्षअरडू के पेड़ों का खेती में उपयोग न केवल किसानों की आय में वृद्धि में सहायक है बल्कि यह एक स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टि से भी लाभदायक है। अरडू के पेड़ों के माध्यम से किसानों ने एक नया अध्याय लिखा है, जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा भी प्रदान करता है। इस प्रकार, खेत की मेड़ पर अरडू के पेड़ लगाकर, किसान न केवल अपनी आय बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपनी मेहनत और लगन से कृषि के क्षेत्र में एक मिसाल साबित कर रहे है। कृषि सलाह