जीरा-ईसबगोल की खेती: 25 हजार फार्मपाउंड से बढ़ेगी किसानों की आय Rajendra Suthar, September 21, 2024September 21, 2024 मेड़ता कृषि क्लस्टर क्षेत्र में इस बार हुई 841 एमएम बारिश ने किसानो के चेहरों पर खुशी की लहर ला दी है। खेतो में बने लगभग 25 हजार फार्म पोंड अब लबालब हो चुके है। जो रबी फसलों की बुवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगें। ये फार्मपौंड न केवल किसानो के लिए पानी का एक स्रोत है बल्कि उनके सपनो को भी संजीवनी प्रदान कर रहे हैं।पिछले कुछ वर्षों में मेड़ता क्षेत्र में फार्मपौंड का निर्माण किसानों के जिंदगी में बदलाव लाने वाला पहला कदम साबित हुआ है। ये खेत तलाई खेतों में पाने रोकने का एक साधन है। जिससे खरीफ और रबी दोनों सीजन में पैदावार बढी है। इससे किसानों को लाखों रुपए तक का मुनाफ़ा हुआ है। खासकर जीरा और इसबगोल की खेती में इस पानी का उपयोग करके किसान अपने उत्पादन को दोगुना कर रहे है।इस बार की बारिश ने काश्तकारों को जीरा और इसबगोल की बुवाई के लिए प्रेरित किया है। पिछले साल रबी सीजन में 51400 हैक्टेयर में जीरा और 50200 हैक्टेयर में इसबगोल की बुवाई की गई थी। लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है के इन दोनों फसलों का रकबा और उत्पादन बढ़ेगा। किसान भाइयों का कहना है की फार्मपौंड की मदद से वे कम पानी की जरूरत वाली फसलों की बुवाई करने में सक्षम होंगे।Also Read कृषि में नवाचार: सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम और तिल की 7 नई किस्में लॉन्च मेड़ता क्षेत्र में फार्मपौंड का इतिहासकृषि विशेषज्ञ अणदाराम चौधरी के अनुसार, साल 2013 से पहले मेड़ता क्षेत्र में फार्मपौंड का प्रचलन नहीं था। इस साल सरकार की खेत तलाई योजना के तहत पहले फार्मपौंड का निर्माण किया गया। तब विभाग ने 10 फार्मपौंड बनाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, प्रारंभिक दौर में किसानों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब उन्होंने फार्मपौंड से लहलहाती फसलें देखी, तो धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ी।निजी स्तर पर फार्मपौंड का निर्माण : किसान केवल सरकारी अनुदान पर ही नहीं बल्कि अपने निजी खर्चे पर भी फार्मपौंड का निर्माण करवा रहे है। इसका कारण यह है की किसानों के पास स्वयं की जमीन नहीं है या जिनके पास थी उनको अनुदान का लाभ नहीं मिल पाया। ऐसे में उन्हें अपनी जमीन के लिए निजी निजी स्तर पर फार्मपौंड खुदवाने पड़े।सरोज चौधरी सहायक निर्देशक कृषि ने बताया की सरकार द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्रो पर भी सब्सिडी प्रदान की जा रही है। जिससे किसानो को सिंचाई के लिए विद्युत व्यवस्था की मदद मिलती है।Also Read कृषि में नवाचार: सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम और तिल की 7 नई किस्में लॉन्च मेड़ता क्षेत्र की मिट्टी दौमट है, जो खेती के लिए उपयुक्त्त मानी जाती है। यही कारण है की यहां पर फार्मपौंड की संख्या बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक में मेड़ता क्षेत्र में 25 हजार फार्मपौंड बनाए गए हैं, जिनमे से 20 हजार मेड़ता तहसील में है।इस वर्ष हुई रिकॉर्ड बारिश और लबालब फार्मपौंड से यह स्पष्ट है की मरता कृषि क्लस्टर में जीरा और इसबगोल की बुवाई में वृद्धि होगी। यह न केवल किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेगा। बल्कि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेगा।निष्कर्षमेड़ता क्षेत्र के किसान अब अपने सपनो को साकार करने के करीब पहुंच रहे है। फार्मपौंड की मदद से वे न केवल पानी की कमी को दूर कर रहे है बल्कि बेहतर फसल उत्पादन के जरिये अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। अगर इसी तरह से खेती की प्रक्रियाएं विकसित होती रहीं, तो निश्चित रूप से मेड़ता क्षेत्र कृषि में एक मॉडल बन सकता है।किसानो का सपना अब हकीकत बनता जा रहा है, और यह सब संभव हो रहा है फार्मपौंड की मदद से। आनी वाले दिनों में इस क्षेत्र की खेती का विकास और भी तेजी से होगा। जिससे न केवल किसानो का जीवन स्तर बढ़ेगा बल्कि पुरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। कृषि समाचार