तिरुपति बालाजी के मंदिर में हो गया बड़ा खेल: प्रसाद के लड्डू में चर्बी और मछली का तेल? Rajendra Suthar, September 21, 2024September 21, 2024 देश में धार्मिक स्थलों के प्रति भक्तों की आस्था अद्वितीय है। यहाँ लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या से निकलकर ईश्वर के सामने नतमस्तक होते हैं और कुछ समय वहां बिताकर मिलने वाले प्रसाद का सेवन करते हैं। लेकिन अगर अचानक यह पता चले कि इसी प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाया जा रहा है, तो आप क्या करेंगे? निश्चित रूप से, यह आस्था को गहरा आघात पहुँचाएगा और भक्तों का मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद पर से विश्वास उठ सकता है।हाल ही में आंध्रप्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लडुओं को लेकर लैब रिपोर्ट सामने आई है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर, जो भारतीय श्रद्धालुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, इस समय एक गंभीर विवाद के केंद्र में है। मंदिर के प्रसाद, विशेष रूप से लड्डू, में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के मिलाने के आरोपों ने न केवल भक्तों की आस्था को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि यह राजनीति का भी विषय बन गया है। आइए इस मुद्दे की गहराई में जाकर समझते हैं कि क्या चल रहा है।आखिर क्या है मामलाहाल ही में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया की पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली का तेल उपयोग किया जा रहा है। इस ब्यान ने धार्मिक समूहों में अफरा-तफरी मचा दी है। जांच रिपोर्ट में सामने आया है की प्रसाद में घी की जगह मिलावट की गई है। इसके कारण भक्तो की आस्था के गहरी चोट लगी है।जाँच रिपोर्ट प्रक्रिया : जुलाई में तिरुपति मंदिर ट्रस्ट ने घी के सैम्पल की जाँच के लिए गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF LTD.) को भेजा था। रेपर्ट में सामने आया की मिलावट वाले घी में फिश आयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा पाई गई है। यह स्पष्ट है कि इस घी का उपयोग प्रसादम लड्डुओं में किया जा रहा था, जो लाखों भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक तत्व है।इस घटना ने भक्तों के बीच एक बड़ी नाराजगी पैदा की है। श्रद्धालुओं का मानना है की जब उन्हें भगवान से मिलने वाले प्रसाद में इस तरह की मिलावट का सामना करना पड़ेगा तो उनकी आस्था कैसे बनी रहेगी। संतो ने भी इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तत्काल प्रभाव से मंदिर ट्रस्ट बोर्ड को भंग करने की मांग की है।कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की सफाईकर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF), जो तिरुपति मंदिर को शुद्ध घी की आपूर्ति करता रहा है, ने हाल ही में इस विवाद में अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा है कि वे जुलाई के बाद से घी की आपूर्ति कर रहे हैं, जबकि जिस सप्लायर पर आरोप लगाया गया है, उसका नाम एआर डेयरी प्रोडक्ट लिमिटेड है। इस कंपनी ने अपनी जांच कराने की पेशकश की है और दावा किया है कि उनके चार ट्रकों में घी में कोई शिकायत नहीं थी, जबकि पांचवें ट्रक को रोका गया था।दंडात्मक कार्रवाई की शुरुआत : तिरुपति प्रशासन ने कहा है की अब एआर डेयरी प्रोडक्ट को ब्लैकलिस्ट करके उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। यह स्पष्ट है कि इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरतने की आवश्यकता है।टेंडर प्रक्रिया और गुणवत्ता की जाँचमंदिर में घी की आपूर्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है। टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी का कहना है कि इस प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाने वाले को टेंडर दिया जाता है। हालांकि पूर्व मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने यह भी बताया की शुद्ध देशी घी की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट के प्लांट में 550 देशी गाये रखी गई है।इससे जाहिर होता है की मदिर प्रशासन अपनी गुणवत्ता के जांच को लेकर गंभीर है। टीडी, मैसूर स्थित CFTRI लैब की मदद से घी की गुणवत्ता की नियमित जांच करता रहा है।निष्कर्षइस विवाद को तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद की पवित्रता पर सवाल उठाए है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन और एआर डेयरी प्रोडक्ट के बीच की इस खींचतान से स्पष्ट होता है कि धार्मिक स्थलों पर आस्था और विश्वास बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि श्रद्धालुओं को मिलने वाला प्रसाद पूरी तरह से शुद्ध और सुरक्षित हो। Blog