पशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता: मुंहपका-खुरपका रोग से बचाव के लिए 25 अक्टूबर तक चलेगा टीकाकरण अभियान Rajendra Suthar, September 20, 2024September 20, 2024 किसान साथियों खेती के साथ-साथ पशुओं की देखभाल भी जरूरी है। वर्तमान में पशुओं में मुंहपका-खुरपका रोग का प्रभाव बड़ रहा है। मुंहपका-खुरपका रोग, जो कि पिकोरना वायरस द्वारा उत्पन्न होता है, एक गंभीर और संक्रामक बीमारी है जो मुख्य रूप से गायों और भैंसों को प्रभावित करती है। यह रोग तेजी से फैलता है और इसके कारण आर्थिक नुकसान के साथ-साथ पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इस लेख में हम इस रोग के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।रोग का फैलावमुंहपका-खुरपका रोग का फैलाव मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीकों से होता है-हवा द्वारा: संक्रमित पशु से स्वस्थ पशुओं तक हवा के माध्यम से यह रोग फैल सकता है।दूषित पदार्थों से सम्पर्क : बीमार पशु के झूठे पशुआहार, पानी और अन्य दूषित पदार्थों से स्वस्थ पशुओं में संक्रमण हो सकता है।Also Read कृषि में नवाचार: सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम और तिल की 7 नई किस्में लॉन्च संकर नस्ल के पशुओं में तेजी से फैलाव : विशेषकर संकर नस्ल में पशुओं में यह रोग तेजी से फैलता है, और काम उम्र के पशुओं के लिए यह अधिक घातक होता है।रोग के लक्षणमुंहपका-खुरपका रोग के लक्षण सामान्यतः निम्नलिखित होते हैं-तेज बुखार: पशु का तापमान 104-106 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ सकता है।भोजन और पानी का सेवन बंद होना : संक्रमित पशु खाना-पीना बंद कर देता है।दूध उत्पादन में गिरावट : अचानक दूध उत्पादन में कमी आ जाती है।मुंह, जीभ और मसूड़ों पर छाले: ये छाले पशु की मौखिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।लगातार लार गिरना: पशु लार गिराने लगता है, जो एक सामान्य लक्षण है।खुरों के बीच छाले : खुरों के बीच छाले हो जाने के कारण पशु लंगड़ाकर चलता है और चलने में कठिनाई उत्पन्न करता है।रोग की रोकथामइस रोग से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने आवश्यक हैं:टीकाकरण: राजस्थान में केंद्र पोषित “राष्ट्रीय पशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम” के तहत सभी स्वस्थ गाय-भैंसों का टीकाकरण किया जा रहा है। यह टीका वर्ष में दो बार (मार्च और सितंबर) लगवाना चाहिए।बीमार पशुओं का अलगाव: अगर किसी पशु में इस रोग के लक्षण दिखाई दें, तो उसे अन्य स्वस्थ पशुओं से दूर रखें। इससे संक्रमण का फैलाव रुक सकेगा।स्वच्छता: पशु आवास के आसपास नियमित रूप से चूने का छिड़काव करें और मृत पशु का निस्तारण गहरे गड्डे में चूना या नमक डालकर करें।चिकित्सा सलाह: अगर किसी पशु में रोग के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।दवा का उपयोग: बीमार पशु के छालों और घावों की सफाई प्रतिदिन लाल दवा या फिटकरी के हल्के घोल से करनी चाहिए। अगर घाव में कीड़े पड़ जाएं, तो फिनाइल, तारपीन का तेल, कपूर या नीम के पत्तों के उबले हुए पानी से सफाई करें।Also Read मशरूम लेडी अनु कंवर: जानिए राजस्थान की महिला किसान की सफलता की कहानी सावधानियां बरतेंचार माह से छोटे पशुओं का टीकाकरण नहीं करवाना चाहिए।केवल स्वस्थ पशुओं का ही टीकाकरण करें। बीमार पशु की जानकारी स्टॉफ को अवश्य दें।टीकाकरण पूरी तरह सुरक्षित होता है। इसलिए प्रचलित भ्रांतियों में ना आएं।निष्कर्षमुंहपका-खुरपका रोग एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जिसका समय पर उपचार और रोकथाम आवश्यक है। उचित टीकाकरण, स्वच्छता, और जागरूकता के माध्यम से हम इस रोग के प्रभाव को कम कर सकते हैं। सभी पशुपालकों को इस रोग के प्रति सजग रहना चाहिए और अपने पशुओं का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराना चाहिए।इस प्रकार, मुंहपका-खुरपका रोग से बचाव में हम सभी की जिम्मेदारी है। एक स्वस्थ पशुपालन के लिए यह जानना जरूरी है कि हमारे पशु किस प्रकार के रोगों से प्रभावित हो सकते हैं और हमें क्या कदम उठाने चाहिए। इस ज्ञान के माध्यम से हम अपने पशुओं को सुरक्षित रख सकते हैं और उनके स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं। कृषि समाचार