कृषि में नवाचार: सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम और तिल की 7 नई किस्में लॉन्च Rahul Saharan, September 20, 2024September 20, 2024 राम राम किसान साथियों जैसा की आप सभी को मालूम है कि किसी भी प्रकार की फसल को बोने से पहले सबसे जरूरी काम होता है की जो फसल आप बोने वाले है। उस फसल के उच्च गुणवत्ता, कीट प्रतिरोधक क्षमता और अधिक उत्पादन देने वाली किस्म का चयन करना। किस्म की श्रेणी में किसान साथियों हाल ही में भारत देश के कृषि वैज्ञानिको के द्वारा कृषि के क्षेत्र में एक नवाचार लाया गया है। हाल ही में भारत के कृषि वैज्ञानिको ने इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली ने तिलहन की फसल सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम तथा तिल की 7 नई किस्मों को लॉन्च किया है।किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी तिलहन की इन 7 नई किस्मो में नुकसान की सम्भावना बहुत ही कम है और उत्पादकता की दृष्टि से ये 7 नई किस्में बहुत अधिक उपयोगी साबित होने वाली है।आइए किसान साथियो हम आपको हाल ही में लॉन्च की गयी सोयाबीन, मूंगफली, कुसुम तथा तिल की इन 7 किस्मों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाते है –Also Read आयुष्मान योजना (Aayushman yojana) में बदलाव: जानें नई योजनाओं से कैसे होगा फायदा 1. सोयाबीन की नई किस्मे-A. एनआरसी-149 (NRC-149)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में सोयाबीन की एनआरसी-149 (NRC-149) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च इंदौर (मध्यप्रदेश) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म खरीफ ऋतू के लिए सबसे अनुकूल तथा बरसात पर आधारित किस्म है। यह किस्म भारत के राज्य दिल्ली, बिहार (पूर्वी भाग), उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश (पूर्वी भाग) आदि क्षेत्रों के लिए बहुत ही अधिक अनुकूलित होने वाली है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –इस किस्म का पौधा टूटता नहीं है।इस क़िस्म के पौधे की बढ़वार भी नहीं रूकती है।यह किस्म लगभग 128 दिनों में पकाव ले लेती है।इस किस्म से किसान लगभग 25 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।इस किस्म का पौधा बहुत से रोगों जैसे- पोड ब्लाइट, सफ़ेद मच्छर/मक्खी, स्टेम फ्लाई, राइजोक्टोनिआ एरियल ब्लाइट, डिफोलिएटर्स के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी है।B. एआरसी-197 (ARC-197)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में सोयाबीन की एआरसी-197 (ARC-197) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च इंदौर (मध्यप्रदेश) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म खरीफ ऋतू के लिए सबसे अनुकूल तथा बरसात पर आधारित किस्म है। यह किस्म भारत के राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों के लिए बहुत ही अधिक अनुकूलित होने वाली है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –इस किस्म का पौधा टूटता नहीं है।इस क़िस्म के पौधे की बढ़वार भी नहीं रूकती है।यह किस्म लगभग 110 दिनों में पकाव ले लेती है।इस किस्म से किसान लगभग 17 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।इस किस्म का पौधा बहुत से रोग जैसे- सेमीलूपर के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी है।इस किस्म का पौधा स्पोडोप्टेरा लीटर रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।इस किस्म का पौधा कीट तथा मक्खी के प्रति प्रतिरोधी है।2. मूंगफली की नई किस्मे-A. टीसीजीएस- 1707 आईसीएआर कोणार्क (TCGS- 1707)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में मूंगफली की टीसीजीएस- 1707 आईसीएआर कोणार्क (TCGS- 1707) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च के AICRP आचार्य एन. जी. रंगा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी तिरुपति (आंध्रप्रदेश) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म खरीफ ऋतू के लिए सबसे अनुकूल किस्म है। यह किस्म भारत के राज्य पश्चिम बंगाल और ओडिशा के क्षेत्रों के लिए बहुत ही अधिक अनुकूलित होने वाली है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –यह किस्म लगभग 112 दिन से लेकर 117 दिनों में पकाव ले लेती है।इस किस्म का पौधा LLS (एक प्रकार का पर्ण रोग) रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधी है।इस किस्म का पौधा मिट्टी आधारित रोगो जैसे-तना गलन, कॉलर गलन, मूल गलन,चूषक कीट आदि के प्रति प्रतिरोधी है।इस किस्म के अंदर प्रोटीन की मात्रा लगभग 30 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म के अंदर तेल की मात्रा लगभग 50 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म से किसान लगभग 25 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।B. गिरनार-6 (एनआरसीजीसीएस-637)[Girnar-6 (NRCGCS-637)]-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में मूंगफली की गिरनार-6 (एनआरसीजीसीएस-637)[Girnar-6 (NRCGCS-637)] किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च मूंगफली अनुसंधान निदेशालय जूनागढ़ (गुजरात) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म खरीफ ऋतू में समय पर बुवाई लिए सबसे अनुकूल किस्म है। यह किस्म भारत के राज्य राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब के क्षेत्रों के लिए बहुत ही अधिक अनुकूलित होने वाली है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –Also Read मशरूम लेडी अनु कंवर: जानिए राजस्थान की महिला किसान की सफलता की कहानी यह किस्म लगभग 125 दिन में पकाव ले लेती है।यह किस्म सूखे के प्रति सहनशीलता प्रदर्शित करती है।यह किस्म प्रमुख रोग जैसे- कॉलर रुट, तना गलन, पत्ती पर धब्बे, जंग, सुखी मूल गलन आदि रोगो के प्रति अधिक प्रतिरोधी किस्म है।इस किस्म के अंदर प्रोटीन की मात्रा लगभग 29 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म के अंदर तेल की मात्रा लगभग 51 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म से किसान लगभग 30-32 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।3. तिल की नई किस्मे-A. तंजिला- सीयूएमएस-09ए (Tanjila-CUMS-09A)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में तिल की तंजिला- सीयूएमएस-09ए (Tanjila-CUMS-09A) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च AICRP- एग्रीकल्चर साइंस सेंटर, कलकत्ता यूनिवर्सिटी कोलकता (पश्चिम बंगाल ) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म समय से पहले तथा समय से बाद की बुवाई के अनुरूप गर्मियों लिए सबसे अनुकूल किस्म है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –यह किस्म लगभग 90 दिन में पकाव ले लेती है।यह किस्म सूखे के प्रति सहनशीलता प्रदर्शित करती है।यह किस्म प्रमुख रोग जैसे- फाइलोडी, पाउडर फफूंद तथा मूल गलन आदि रोगो के प्रति अधिक प्रतिरोधी किस्म है।इस किस्म के अंदर तेल की मात्रा लगभग 47 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म से किसान लगभग 10-12 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।इस किस्म से किसान तेल की लगभग 5-6 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।3. कुसुम की नई किस्मे-A. आईएसएफ-123-एसइएल-15 (ISF-123-sel-15)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में कुसुम की आईएसएफ-123-एसइएल-15 (ISF-123-sel-15) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च के इंडियन तिलहन अनुसंधान सेंटर हैदराबाद (तेलंगाना) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म समय से बाद बुवाई तथा बरसात पर आधारित सबसे अनुकूल किस्म है। यह किस्म भारत के राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश के क्षेत्रों के लिए बहुत ही अधिक अनुकूलित होने वाली है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –यह किस्म लगभग 125 दिन में पकाव ले लेती है।इस किस्म के अंदर तेल की मात्रा लगभग 35 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म का पौधा एफिड संक्रमण के प्रति बहुत अधिक प्रतिरोधी है।इस किस्म का पौधा विल्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी है।इस किस्म से किसान लगभग 17 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है।B. आईएसएफ-300 (ISF-300)-किसान साथियो हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च नई दिल्ली के द्वारा लॉन्च की गयी इन 7 किस्मो में कुसुम की आईएसएफ-300 (ISF-300) किस्म को इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च के इंडियन तिलहन अनुसंधान सेंटर हैदराबाद (तेलंगाना) के द्वारा रिकमंड किया गया है। यह किस्म समय से बुवाई तथा बरसात पर आधारित सबसे अनुकूल किस्म है। इस किस्म की बहुत सारी ख़ास बाते है जैसे –यह किस्म लगभग 135 दिन में पकाव ले लेती है।इस किस्म के अंदर तेल की मात्रा लगभग 39 प्रतिशत पाई जाती है।इस किस्म का पौधा फ्यूजेरियम विल्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी है।इस किस्म से किसान लगभग 18 कविण्टल प्रति हैक्टेयर की उत्पादकता ले सकता है। कृषि सलाह